अपठित काव्यांश

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अपठित काव्यांश: Overview

इस टॉपिक के अंतर्गत शिक्षार्थी काव्यांशों का अध्ययन कर स्मृति या पुनरावलोकन के आधार पर काव्यांशों आधारित प्रश्नों को हल करने की विधि का अध्ययन करते हैं।

Important Questions on अपठित काव्यांश

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"हेमन्त में बहुधा घनों से पूर्ण रहता व्योम है,
पावस निशाओं में तथा हँसता शरद का सोम है।" 

दिए गए अपठित पद्यांश में 'व्योम' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या नहीं है?

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"आ रही हिमालय से पुकार,
है उदधि गरजता बार बार,
प्राची पश्चिम भू नभ अपार;
सब पूछ रहें हैं दिग-दिगन्त,
वीरों का कैसा हो वसंत।"

दिया गया अपठित गद्यांश किस रस का उदाहरण है?

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भूल जाता अस्थि-मज्जा-मांसयुक्त शरीर हूँ मैं,
भासता बस-धूम्र संयुत, ज्योति-सलिल-समीर हूँ मैं।

दिए गए अपठित पद्यांश में 'सलिल' शब्द का शाब्दिक अर्थ क्या होगा?

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"चारुचंद्र की चंचल किरणें, खेल रहीं हैं जल थल में,
स्वच्छ चाँदनी बिछी हुई है अवनि और अम्बरतल में।
पुलक प्रकट करती है धरती, हरित तृणों की नोकों से,
मानों झीम रहे हैं तरु भी, मन्द पवन के झोंकों से॥"

दिए गए अपठित पद्यांश में आए 'तरु' शब्द का पर्यायवाची शब्द नहीं है?

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"मेघ आए बड़े बन-ठन के, सँवर के।
आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,
दरवाजे-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली
पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।"
दिए गए पद्यांश में कौन -सा अलंकार है?

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नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

उक्त पद्यांश में समीर शब्द का पर्यायवाची शब्द है:

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नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

संसार शब्द का संधि विच्छेद है:

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नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

उपर्युक्त गद्यांश में उक्त पंक्ति 'चकित रहता शिशु-सा नादान' में कौन-सा अलंकार निहित है?

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नीचे दिए गए पद्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के सही/ सबसे उचित उत्तर वाले विकल्प चुनिए-
स्तब्ध ज्योत्सना में जब संसार
चकित रहता शिशु-सा नादान
विश्व के पलकों पर सुकुमार
विचरते हैं जब स्वप्न अजान।
न जाने नक्षत्रों से कौन
निमन्त्रण देता मुझको मौन?
'सघन मेघों का भीमाकाश
गरजता है जब तमसाकार 
दीर्घ भरता समीर निःश्वास 
प्रखर झरती जब पावस धार' 
न जाने, तपक तड़ित में कौन,
मुझे इंगित करता तब मौन
'कनक छाया में जब कि सकाल 
खोलती कलिका उर के द्वार।' 
सुरभि पीड़ित मधुपों के बाल 
तड़प बन जाते हैं गुंजार  
न जाने दुलक ओस में कौन
खींच लेते मेरे दृग मौन!

तमसाकार शब्द का अर्थ है: